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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अज़ीज़ क़ैसी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : नेशनल फ़ाइन प्रिंटिंग प्रेस, हैदराबाद

मूल : हैदराबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1972

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 139

सहयोगी : बज़्म-ए-सदफ इंटरनेशनल

समर्थन : Dentsu (एक CSR पहल)

ayena dar ayena
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लेखक: परिचय

अज़ीज़ क़ैसी मशहूर प्रगतिवादी शायरों में से हैं। वह न सिर्फ़ सृजनात्मक सतह पर प्रगतिवादी विचारधारा के समर्थक रहे बल्कि व्यवहारिक रूप में भी आन्दोलन के सक्रिय सदस्य थे एक जुलाई  1913 को पैदा हुए। जामिया उस्मानिया हैदराबाद से शिक्षा प्राप्त की। अज़ीज़ क़ैसी ने शायरी भी की और कहानियाँ भी लिखीं, लेकिन उनकी सारी सृजनात्मक उप्लब्धियाँ दूसरे प्रगतिवादियों से उस मायनी में अलग हैं कि उनमें सामाजिक ज़िम्मेदारी का एहसास सतह के नीचे तैरता है। प्रगतिवादी विचार धारा से सम्बद्धता उनके अपने निजी सृजनात्मक प्रक्रिया पर हावी नहीं होने पाती।

अज़ीज़ क़ैसी ने शायरी में ग़ज़ल के साथ नज़्मों पर ख़ास तवज्जोह दी। उनकी नज़्में एक तरह से उनके युग के उथल पुथल का इतिहास हैं। अज़ीज़ क़ैसी फ़िल्मों से भी सम्बद्ध रहे। उन्होंने मुम्बई में रहकर कई फ़िल्मों के लिए कहानियाँ और गीत लिखे। 30 सितंबर 1992 को उनका देहांत हुआ।


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