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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : तिलोकचंद महरूम

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : मकतबा जामिया लिमिटेड, नई दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1960

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : बाल-साहित्य

उप श्रेणियां : नज़्म

पृष्ठ : 124

सहयोगी : मुकता लाल

bahar-e-tifli
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पुस्तक: परिचय

تلوک چند محروم مشہور شاعراور جگن ناتھ آزاد کے والد تھے۔ محروم نے بچوں کے لئے بھی لکھا ، بچوں کے لئے لکھی گئی ان کی نظمیں بچوں میں قومی جذبات کو ابھارنے اور ان کو زندگی کی مثالی اقدار سے متعارف کرانے کیلئے مؤثر ہیں۔ بہار طفلی ،تلوک چند محروم کاشعری مجموعہ ہے۔جس میں بچوں کے لیے لکھی گئی نظمیں شامل ہیں۔ چونکہ محروم کا تعلق عمر بھر درس تدریس سے رہا انھیں بچوں کو سمجھنے اور ان کی نفسیات جاننے کا موقع ملا ۔وہ بچوں کی نفسیات و احساسات سے بخوبی واقف تھے ۔اس لیے ان کی لکھی ہوئی نظمیں بچوں کے ذہن اور نفسیات کے عین مطابق ہیں۔ زیر نظار کتاب "بہار طفلی " میں مجود نظموں میں سے کچھ نظمیں تو وہ ہیں جو انھوں نے لکھی اور بعض نظمیں وہ ہیں جو انھوں نے انگریزی سے ترجمہ کیا ہے۔

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लेखक: परिचय

प्रसिद्ध शायर तिलोकचंद महरूम 1 जुलाई 1887 को ज़िला मियांवाली(पंजाब,पाकिस्तान)में पैदा हुए.बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की और फिर विभिन्न स्थानों पर शिक्षा-दीक्षा की सेवाएँ देते रहे.विभाजन के समय भड़क उठनेवाले फसादात के कारण देहली से हीज्रत कर गये.
महरूम के शायरी की भावना बहुत स्वाभाविक थी .वह बहुत छोटी सी उम्र ही से शेर कहने लगे थे. 1901 में जब मिडिल स्कूल के छात्र थे तो मल्का विक्टोरिया का मर्सिया लिखा. हाईस्कूल के विद्यार्थी जीवन के दौरान रिसाला ‘ज़माना’ और ‘ मख्ज़ंन ‘ में उनकी नज़्में शाया होने लगी थीं. तिलोक ने सारी विधाओं में रचना की.उनकी नज़्मों में राष्ट्रीय भावना बड़ी शिद्दत के साथ मौजूद है,इस हवाले से वह चकबस्त और सुरूर जहानाबदी के अमानतदार माने जाते हें. महरूम ने बच्चों के लिए भी लिखा ,बच्चों के लिए लिखीं गयी उनकी नज़्में बच्चों में राष्ट्र भावना को उभारने और उन्हें आदर्श मूल्यों से परिचय कराने के लिए प्रभावी हैं.
गंजे मा’नी ,रुबाईयात,कारवाने वतन,नैरंगे मा’नी, बच्चों की दुनिया,बहारे तिफ़ली,उनके काव्य संग्रह हैं. 6 जनवरी 1966 में दिल्ली में देहांत हुआ.

 

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