aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
रन्ज/तबीब मेरठी, हकीम फ़सीहुद्दीन (1836-1885)मिर्ज़ा ‘ग़ालिब’ के शागिर्द थे। हकीम थे और उनका अपना मतब (दवाख़ाना) था। ‘बहारिस्तान-ए-नाज़’ के नाम से शाइ’रात का तजि़्करा तर्तीब दिया जिसे बहुत सराहा गया।
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