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मुनीबुर्रहमान जदीद उर्दू शायरी के एक महत्वपूर्ण शायर, फ़ारसी साहित्य के विद्वान, पत्रकार और अनुवादक के रूप में जाने जाते हैं। उनका जन्म 18 जुलाई 1924 को आगरा में हुआ था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास और फ़ारसी में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लंदन से फ़ारसी साहित्य में पी.एच.डी. की। इसके बाद, लंबे समय तक अलीगढ़ के फ़ारसी विभाग से जुड़े रहे। 1970 में वह अमेरिका चले गए और आकलैंड विश्वविद्यालय के भाषा केंद्र में अपनी सेवाएँ दीं।
फ़ारसी भाषा के क्लासिकल साहित्य और आधुनिक फ़ारसी शायरी में उनकी विशेष रुचि थी। कुछ समय तक उन्होंने ईरान में रहकर आधुनिक फ़ारसी साहित्य का गहन अध्ययन किया, जिसके बाद उनकी किताबें “जदीद फ़ारसी शायरी” नाम से उर्दू और अंग्रेजी में प्रकाशित हुईं।
मुनीबुर्रहमान अपने विशेष सृजनशील स्वभाव और अभिव्यक्ति की अनूठी शैली के कारण आधुनिक नज़्म के एक महत्वपूर्ण शायर माने जाते हैं। उनकी नज़्मों का पहला संग्रह “बाज़दीद” के नाम से प्रकाशित हुआ। इसके बाद उनके संग्रह “शहर-ए-गुमनाम” और “नुक़्ता-ए-मौहूम” के नाम से प्रकाशित हुए।
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