aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
सय्यद सिराज हुसैन, जो सिराज आज़मी के नाम से प्रसिद्ध हैं, का जन्म 1928 में आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ था। उनके पिता सय्यद फ़ज़ल-ए-रब थे। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर पूरी की।
1955 में उन्होंने सरकारी सेवा जॉइन की और कराची में अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। अपनी मेहनत और क़ाबिलियत के चलते वे ग्रेड 19 के पद तक पहुँचे और 1988 में सेवानिवृत्त हुए।
सिराज आज़मी का विवाह 1947 में रजबुल-फ़सा बेगम से हुआ। उनके तीन बेटे—सय्यद महमूद सिराज, सय्यद मसूद सिराज, सय्यद मस्रूर सिराज—और तीन बेटियाँ—निकहत ख़ावर, निज़्बत फ़हीम, तलअत सिराज लाढ़ा—हैं।
सिराज अज़मी ने 1947 में शाइरी की शुरुआत की। उन्होंने बहार कोई (मरहूम) से प्रेरणा ली और उर्दू साहित्य में अपना एक अलग स्थान बनाया