aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
नसीम देहलवी, असग़र अ’ली ख़ाँ(1799-1866)दिल्ली के एक भरे-पुरे घराने में पैदा हुआ मगर पिता के गुज़रने के बा’द भाइयों में जायदाद के बटवारे पर झगड़ा हुआ, जिस से बद-दिल हो कर लखनऊ चले गए और वहीं बस रहे। लखनऊ में माली दुश्वारियों में रहे मगर किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। मुंशी नवल किशोर के प्रेस में ‘दास्तान-ए-अल्फ़लैला’ के एक हिस्से का छंदबद्ध अनुवाद किया।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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