aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
مولانا کو اپنا پیر و مرشد متعدد لوگوں نے گردانا ہے جن میں سب سے بڑا نام علامہ اقبال کا ہے جو مولانا روم کو پیر رومی کے نام سے یاد کرتے ہیں مگر مولانا کو پیر رومی بنانے والی شخصیت یہی شمس تبریزی کی شخصیت تھی جن کی تربیت نے مولانا کے اندر عشق الہی کا صور پھونکا جو ساز بن کر ان کی مثنوی معنوی اور دیوان شمس تبریزی پر محیط ہے۔ شمس تبریزی کی شخصیت ایک کامل صاحب حال صوفی کی تھی جو مولانا کو دیکھ کر ہی سمجھ گئی کہ اندر ایک شعلہ فشاں مدفون ہے جسے بس ایک ہلکی سی ہلچل کی ضرورت ہے اور بس۔ زیر نطر دیوان شمس تبریزی مولانا روم کی غزلیات کا دیوان ہے جسے مولانا نے شمس تبریزی کو معنون کیا ہے۔ اس دیوان میں تصوف و معرفت کے رازہائے سربستہ کو آشکار کیا گیا ہے اور علم و حکمت کے دریا بہائے گئے ہیں ۔ کلام متصوفانہ عناصر سے لبریز ہے جس کا ایک ایک شعر نہایت ہی معنی خیز اور تصوف کے رموز کو کھولتا ہے۔
पूरा नाम जलालुद्दीन रूमी. इनकी मसनवी को क़ुरआनी पहलवी भी कहते हैं. इसमें 26600 दो-पदी छंद हैं , कहा जाता है कि निशापुर में इनकी भेंट प्रसिद्ध सूफ़ी संत शेख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार से भी हुई थी. फ़रीदुद्दीन अत्तार ने इन्हें अपनी इलाहीनामा की एक प्रति भेंट भी की थी. रूमी की दो शादियाँ हुईं, जिनसे इन्हें दो बेटे और एक बेटी पैदा हुई थी. विनफ़ील्ड के अनुसार रहस्यवाद में रूमी की बराबरी कोई नहीं कर सकता. रूमी शम्स तबरेज़ को अपना मुर्शिद मानते थे और उनकी रहस्यमयी मृत्यु के बाद उन्होंने अपने दीवान का नाम भी अपने मुर्शिद के नाम पर ही रखा. रूमी की मसनवी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में शुमार होती है|
प्रमुख रचनायें
१. मसनवी
२. दीवान-ए-शम्स तबरेज़
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets