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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : साग़र मेहदी

प्रकाशक : प्रेम प्रिंटिंग प्रेस, लखनऊ

प्रकाशन वर्ष : 1973

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : दोहा

पृष्ठ : 113

सहयोगी : जामिया हमदर्द, देहली

deewanjali
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लेखक: परिचय

साग़र मेहदी की गिनती नई ग़ज़ल के अच्छे शायरों में होती है। उन्होंने ज़िंदगी की तेज़ी से बदलती हुई सूरतों को सृजनात्मक स्तर पर आत्मसात किया और शायरी में उपयोग किया। उनकी पैदाइश 1936 में बहराइच (उ0 प्र0) के एक प्रतिष्ठित सादात घराने में हुई। स्थानीय गवर्नमेंट इंटर कालेज में शिक्षा प्राप्त की और महराज सिंह कालेज में शिक्षा दीक्षा से सम्बद्ध हो गये। साग़र मेहदी का बचपन बहुत सी मुश्किलों से घिरा रहा। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया, फिर उनके मामूँ भी चल बसे, घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ साग़र मेहदी के सर आ गयीं। साग़र मेहदी की शायरी में आने वाली पीड़ा उनके निजी जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है।

साग़र मेहदी के दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुए 'देवांजली’ और ‘हर्फ़-ए-जाँ’। शायरी के अलावा उन्होंने विभिन्न साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समस्याओं पर आलेख भी लिखे। उनके लेखों का संग्रह तहरीर-ओ-तहलील के नाम से प्रकाशित हुआ। साहित्यिक व सृजनात्मक सफ़र जारी ही था कि 44 वर्ष की अवस्था में 1980 में देहांत हो गया।

 

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