Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : नाज़िश प्रतापगढ़ी

प्रकाशक : नाज़िश प्रतापगढ़ी

प्रकाशन वर्ष : 1981

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 248

सहयोगी : ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

durd-e-tah-e-jaam
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

नाज़िश प्रताबगढ़ी प्रगतिशील आंदोलन से सम्बद्ध अहम शाइरों में से हैं. वह आजीवन व्यवहारिक और रचनात्मक दोनों स्तर पर आंदोलन के विचारधारा को आम करने और एक शानदार समाज की स्थापना की कोशिशों में लगे रहे. नाज़िश ने प्रचूर मात्रा में ऐसी नज़्में भी कहीँ जो देशप्रेम और राष्ट्रप्रेम की भावनाओं से लबरेज़ हैं. ‘अपनी धरती अपनीबात’, ‘ख़ाके और लकीरें’, ‘मता-ए-क़लम’ उनके काव्य संग्रह हैं.
नाज़िश की पैदाइश 12 जुलाई 1924 को प्रताबगढ़ में हुई. आजीविका की तलाश के लिए व्हीलर एंड कम्पनी में रेलवे बुक्स स्टाल के एजेंट के रूप में काम करते रहे. 1984 में लखनऊ में देहांत हुआ.

 

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए