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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

बेख़ुद देहलवी, सय्यद वहीदुद्दीन (1863-1955)पैदा भरतपुर में हुए मगर परवान चढ़े देहली में और सारी उ’म्र यहीं रहे। शाइ’रों के घराने से संबंध था तो शाइ’री उन्हें विरासत में मिली थी। मौलाना ‘हाली’ से ता’लीम हासिल की और उन्हीं के कहने पर ‘दाग़’ देहलवी के शागिर्द हुए। उस्ताद का रंग इतना चढ़ा कि अपना अलग कोई रंग न बन पाया। अच्छा खाते, अच्छा पहनते थे और ख़ूब खर्च करते थे। देहली की ज़बान उनकी शाइ’री की जान है।

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