aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अफ़्सर माहपूरी, ज़हीर आ’लम सिद्दीक़ी (1918-1995) माहपूर, सीवान(बिहार) में जन्म। शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता में हुई। सरकारी नौकरी में रहे। आज़ादी के बाद ढाका चले गए और बाँग्लादेश बनने के बाद कराची जा बसे। कहानियाँ और आलोचना भी लिखी। क़ाज़ी नज़रुल-इस्लाम की बंगाली नज़्मों का उर्दू अनुवाद किया।
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