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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : एहसान दानिश

प्रकाशक : मकतबा-ए-दानिश मज़ंग, लाहौर

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : नज़्म, मर्सिया

पृष्ठ : 109

सहयोगी : गवर्नमेंट उर्दू लाइब्रेरी, पटना

goristan
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पुस्तक: परिचय

احسان دانش کی معرکہ آراء نظم "گورستان" پیش خدمت ہے۔ جو انھوں نے اپنی والدہ کی وفات پر لکھی تھی۔ یہ نظم ایک بیٹے کی اپنی والدہ سے بے پناہ محبت اور خلوص کی عمد ہ تصویر ہے۔ جس میں ایک بیٹے کا اپنی والدہ کو کھونے کا دکھ بھی عیاں ہے۔ المیات کی مصوری میں ویسے ہی احسان دانش کو کمال حاصل ہے، جس پر ان کی المیہ نظمیں شاہد ہیں۔ اور یہ نظم ان کے ذاتی دل پر گزری ہوئی واردات ہے، اس لئے جذبات الم کا مرقع بن گئی ہے۔ اس نظم کی اہمیت کا اندازہ اس بات سے بھی لگایا جاسکتا ہے کہ اس پر پانچ عظیم ادیبوں کے مقدمات شامل ہیں۔ جو اس نظم کی فنی خوبیوں پر بات کرتے ہیں۔

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लेखक: परिचय

एहसानुल-हक़ (1914-1982)ज़िन्दगी का हौसला और जोश बढ़ाने वाली शाइरी के लिए मशहूर। कान्धला, मुज़फ़्फ़र नगर (उत्तर प्रदेश) में जन्म। ग़रीबी ने चौथी क्लास से आगे न पढ़ने दिया। घर चलाने के लिए मज़्दूरी करने लगे। 15 साल की उम् में लाहौर जा बसे और वहाँ भी मज़्दूरी, चौकीदारी और बाग़बानी जैसे काम किए। फिर एक बुक डिपो में नौकरी मिल गई। इन सब कामों के बीच पढ़ाई भी की और शाइरी भी। ताजवर नजीबाबादी के शागिर्द थे।

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