aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
बिस्मिल देवदास मेरठ में १३ नवंबर १९४३ को पैदा हुए और उनका नाम लक्ष्मीचंद रखा गया। उनके वालिद का नाम बलदेवदास स्वामी था । उस ज़माने में मेरठ उर्दू का गतिशील और सरगर्म केंद्र था। यहीं से उन्हें शायरी का शौक़ पैदा हुआ और मैट्रिक में पहुंचते पहुंचते वो शे’र कहने लगे। नववी कक्षा में लक्ष्मीचंदने सूरदास और तुलसीदास के काव्यपर आर्टिकल लिखा । फिल्मो का भूत सवार होने से वह बंबई चले आए । वो सीडीए (कंट्रोलर ऑफ डिफेन्स अकाउंट) में दाखील हुए। वहा उन्होंने १७२० से लेकर आजतक का डिफेन्स का इतिहास लिखा । संरक्षण मंत्रालय का रिसाला 'पश्चिमांचल' का काम भी उन्होंने कई साल किया। उन्होंने बचपन और जवानी में बहुत मुश्किल और कठिन दिन गुज़ारे। बंगाली,उर्दू, सिंधी, मराठी,हिंदी,इंग्रजी,गुजराथी भाषा में लिखनेवाले बिस्मिलजी का २५ जनवरी २०२२ को दिल का दौरा पड़ने से इंतिक़ाल हुआ। उनके पीछे बीबी माया, बेटा आलोक,बहू सीमा और पोती निहारिका हैं ।
प्रकाशित कृतियाँ
टुकडे-टुकडे जिंदगी, ख्वाब कितने बुने, गीत गाने दो मुझे, दरख्तों के लंबे होते साये, तेरी हंसी, उम्रभर सफर में,अमर सहगल के अमर गीत,
राम -रावण महाभारत युद्ध का अंतरकाल
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