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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : ज़फ़र इक़बाल

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : ताहिर असलम गोरा

प्रकाशन वर्ष : 1995

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 215

सहयोगी : प्रीतपाल उबैद

gulaftab
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लेखक: परिचय

ज़फ़र इक़बाल का जन्म 1933 को लाहोर के शहर ओकाड़ा में हुआ। ज़फ़र इक़बाल आधुनिकतावादी उर्दू शाइ’री में, ग़ज़लकारी की एक नई शैली और परंपरा स्थापित करने वाले प्रमुखतम शाइ’र हैं, जिन्होंने ग़ज़ल को एक चुनौती के तौर पर धारण किया और इस आग के दरिया में से और भी रौशन हो कर निकले। उन्होंने क्लासिकी ग़ज़ल की मिट्टी को अपनी रचनात्मक प्रतिभा के चाक पर चढ़ा कर, अभिव्यक्ति और तकनीक के नए साँचे बनाए और एक नए भाव-संसार की संभावनाओं की ख़बर दी। भाषा की सरहदें फैलाने के प्रयत्न किए। शब्दों को उनके शब्दकोषीय और परिचित अर्थों से हटा कर, नए और अप्रत्याशित संदर्भों में साक्रिय करके एक नया अर्थ-बोध हासिल करने की कोशिश भी उनका एक महत्वपूर्ण योगदान है। ज़फ़र इक़बाल की एक बड़ी उपलब्धि ये भी है कि तमामतर प्रयोगवादी नए-पन के बावजूद उनके शेर कभी बेमज़ा नहीं होते और बार बार एक नए आश्चर्य-जगत की सैर कराते हैं।

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