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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : गुस्ताख़ रामपुरी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : मतबा शोला-ए-तूर, कानपुर

मूल : कानपुर, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1979

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : व्याख्या

पृष्ठ : 192

सहयोगी : ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी, पटना

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लेखक: परिचय

गुस्ताख़ रामपुरी, करामत-अल्लाह ख़ाँ (1866-1914) पेशे से जेलर मगर दिल से आ’शिक़ और शाइ’र थे। शराब और औ’रतों का बड़ा शौक़ था। बक़ौल हसरत मोहानी आँखें हर वक़्त गुलाबी रहती थीं। बहुत ख़ुश-मिज़ाज और शाह-ख़र्च थे। शाइ’री में अमीर मीनाई के शागिर्द थे और उनके शे’रों में उन्हीं जैसी, बयान की सफ़ाई और शोख़ी मिलती है।

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