Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अहमद कफ़ील

प्रकाशक : अहमद कफ़ील

प्रकाशन वर्ष : 2002

भाषा : उर्दू

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

पृष्ठ : 241

सहयोगी : मज़हर इमाम

हसन नईम और नई ग़ज़ल
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

अहमद कफ़ील, सहायक प्रोफ़ेसर (उर्दू), भारतीय भाषाएँ विभाग, भाषा एवं साहित्य स्कूल, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया को पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा वर्ष 2018 का प्रतिष्ठित उर्दू आलोचना पुरस्कार "ख्वाजा अल्ताफ़ हुसैन हाली अवार्ड" से सम्मानित किया गया है। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी श्री मुदस्सर आलम ने यह जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. अहमद कफ़ील उर्दू के एक उत्कृष्ट विद्वान हैं। वे इंटरमीडिएट के समय से ही पढ़ाई के साथ शिक्षण कार्य में सक्रिय रहे हैं।

पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (पी.जी.) करने के बाद उन्होंने जे.एन.यू. (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) से एम.फिल. और पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। दिल्ली में रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय उर्दू परिषद की पत्रिकाओं "उर्दू दुनिया" और "फिक्र व तहक़ीक़" की संपादकीय समिति में शोध सहायक (Research Assistant) के रूप में कार्य किया। वे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के उर्दू विभाग में अतिथि व्याख्याता (Guest Faculty) भी रहे। इसके अलावा जे.एन.यू. के उर्दू विभाग में अतिथि शिक्षक के रूप में यू.जी. और पी.जी. के छात्रों को पढ़ाया।

सेमिनार, संवाद और भारतीय प्रतिनिधि मंडलों में उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनके 100 से अधिक लेख, समीक्षाएँ और अनुवाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अब तक उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं —

"कुल्लियात-ए-हसन नईम" (2006)
"हसन नईम और नई ग़ज़ल" (2013), जो राष्ट्रीय उर्दू परिषद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित हुई।
"हर्फ़ के उजाले" (2018) ब्राउन बुक पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई, जिस पर उन्हें पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने यह सम्मान प्रदान किया।

अहमद कफ़ील की आलोचना में स्पष्टता और निर्णयात्मकता देखी जाती है। वे एक अच्छे वक्ता भी हैं, जिनकी विद्वता साहित्यिक जगत में मान्य है। वे फ़ारसी और क्लासिकी साहित्य के भी अच्छे ज्ञाता हैं। साहित्य के छात्र होने के नाते साहित्य की हर विधा में उनकी रुचि है, हालांकि उनकी विशेषज्ञता काव्य आलोचना, उर्दू भाषाविज्ञान, और उर्दू साहित्य का इतिहास है। साहित्य, राजनीति और समाज के क्षेत्र में वे विशेष व्याख्यान देने के लिए अक्सर आमंत्रित किए जाते हैं।

वर्तमान में वे "आधुनिक उर्दू मर्सिया: परंपरा और विचलन", "कुल्लियात-ए-अख्तर ओरैनवी", और "कबीर मोनोग्राफ" पर स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं।


.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए
बोलिए