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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : डाॅ. सय्यद शाह हसीन अहमद

प्रकाशक : इरम पब्लिशंग हाउस, पटना

मूल : पटना, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2013

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : सूफ़ीवाद / रहस्यवाद

पृष्ठ : 137

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-81-925813-6-1

सहयोगी : ख़ानक़ाह सज्जादीया अबुल-उलाईया, दानापुर

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लेखक: परिचय

शाह हुसैन अहमद का संबंध 'दरगाह' (खानकाह हजरत शाह दीवान अरजानी, पटना) से भी है और 'दर्सगाह' (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा) से भी। उनका संबंध उस खानकाह से है जिसका उर्दू से पुराना रिश्ता रहा है। जहाँ न केवल उर्दू भाषा को आश्रय मिला, बल्कि अथाह प्रेम भी प्राप्त हुआ। यही कारण है कि यह भाषा जनसामान्य से जुड़ती चली गई। ये केवल इरफानियत के केंद्र नहीं, बल्कि अदब का गहवारा भी हैं।
सैयद शाह हुसैन अहमद समकालीन युग के प्रसिद्ध शोधकर्ता और आलोचक हैं। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उर्दू की मस्नवियाँ (1987), मुताला-ए-रसिख (1990), खुदा बख्श के उर्दू मख़्तूतात (1995), तसव्वुफ़ अहद ब-अहद (2001), अहवाल व आसार ग़ुलाम मखदूम सरवर (2012), अदब व इरफान (2016), और तह-ए-खाक (2020) उल्लेखनीय हैं।
उनकी दो और पुस्तकें बिहार में उर्दू शायरी 1857 तक और फाअतबरू हैं। ये दोनों पुस्तकें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

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