aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
कमल किशोर राजपूत ‘कमल’
पेशे से इंजीनियर आई.आई.टी. (मद्रास) चेन्नई से पोस्ट ग्रेजुएशन डी.आर.डी.ओ. DRDO रक्षा मन्त्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक (1966-1989)। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति उपरान्त स्वत: की आई.टी. कम्पनी UNIK Software House स्थापित की डॉक्टर्स एवं इंजीनियर्स को अनेक बहुमूल्य आई.टी. समाधान दिए (1989-2016)। देश-विदेश की अनेक यात्राएँ की।
2016-17 में पूर्ण निवृत्ति संवेदनशीलताओं ने शा’इर बना दिया। अपने एहसासों की अभिव्यक्ति भजनों गीतों ग़ज़लों व नज़्मों द्वारा माळवी हिंदी उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषा में उर्दू से विशेष लगाव। चार ऐल्बम: "अनुगूंज" - भजन, "अंदाज़े-बयाँ", "रक़्से-बिस्मिल" एवं "काश!" (ग़ज़ल)
दो ग़ज़लों के संग्रह "इल्हाम" (ईश्वरीय प्रेरणा) देवनागरी लिपि में और ग़ज़लों का मजमुआ "रक़्से-बिस्मिल" (घायल का नृत्य) उर्दू लिपि में प्रकाशित हुए हैं। "रक़्से-बिस्मिल" ग़ज़ल संग्रह को मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा "शम्भू दयाल सुखन" विशिष्ट पुरस्कार से नवाज़ा गया मार्च 2022 में। भजनों का गीत संग्रह "आशीषों की गुड़-धानी", गीतों का संग्रह "रिश्तों की छत पर ..", नज़्मों का संग्रह "दो लम्हों की अन्धी दूरी" एवं "आँखें क्यूँ नहीं सोतीं" का प्रकाशन हुआ है।
55+ वीडियोस: गीतों, भजनों, गज़लों, गीतों और नज़्मों के UTube पर उपलब्ध हैं।
सूफ़ी गीत विश्व-विख्यात कबीर गायक पद्मश्री प्रह्लादसिंह तिपानिया जी ने गाया।