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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : ज़िया अज़ीमाबादी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : इन्दिरा प्रकाशन, लखनऊ

मूल : लखनऊ, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1969

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : जीवनी

पृष्ठ : 174

सहयोगी : गौरव जोशी

indira gandhi
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लेखक: परिचय

ज़िया ज़ीमाबादीमिर्ज़ा ली रज़ा बहुत कम-म्री में शे कहने लगे। अपने ज़माने के उस्ताद शौक़ नीमवी के एक शागिर्द और फिर ख़ुद उस्ताद को कलाम दिखाते थे। नौजवानी में ही गेरुवे कपड़ों में फ़क़ीरों जैसी ज़िन्दगी गुज़ारने लगे, और इसी हाल में हैज़े का शिकार हुए। ज़ीमाबाद (पटनामें पैदा हुए और वहीं देहांत हुआ।

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