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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मिर्ज़ा सलामत अली दबीर

संपादक : तक़ी आबिदी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : साहित्य अकादमी, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2013

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : रुबाई, सलाम, संकलन

पृष्ठ : 331

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-81-260-4167-1

सहयोगी : दारुल मुसन्निफ़ीन शिबली अकादमी, आज़मगढ़

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पुस्तक: परिचय

اردو مرثیہ کا ذکر ہو اور میر انیس اور مرزا دبیر کا ذکر نہ ہو یہ ممکن نہیں،اردو مرثیہ نگاری کی تاریخ ان دو مایہ ناز مرثیہ نگاروں کے فن اور کلام کے تذکرہ کے بغیر نامکمل ہے۔ان دوحضرات نے اردو مرثیہ نگاری کو عروج تک پہنچایا،اس کو فنی ا ور موضوعاتی سطح پر خوب خوب داد دلوائی۔میر انیس اور مرزا دبیر دونوں ہی کمال کےمرثیہ گو ہیں۔میر انیس اپنی سادگی ،سلاسلت اور بے مثل جذبات نگاری کی وجہ سے مشہور ہیں لیکن دبیر کے مرثیوں کی بھی اپنی منفرد پہچان ہے۔ان کے کلام کا خاص جوہر زور بیان ،شوکت الفاظ ،بلندتخیل اور صنائع کا استعمال ہے۔ خاص طور پر مرزا دبیر نے مرثیوں کے چہرے بہت کمال کے لکھے ہیں۔ اور شاید ہی کوئی دوسرا مرثیہ نگار دبیر کی چہروں کا جواب پیش کرسکے۔ زیر نظر مرزا دبیر کے مرثیوں کاانتخاب ہے۔ جس میں پندرہ مرثیوں کے علاوہ پندرہ سلام اور تیس رباعیات بھی شامل ہیں۔ یہ انتخاب سید تقی عابدی نے انجام دیا ہے۔ جس پر ایک بیش قیمتی مقدمہ بھی معلومات میں اضافہ کرتا ہے۔

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लेखक: परिचय

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर उर्दू के एक कवि थे। उन्होंने मरसिया लिखने की कला को एक नया मुकाम दिया। उन्हें मीर अनीस के साथ मरसिया निगारी का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।
मिर्जा सलामत अली का जन्म 1803 में मिर्जा गुलाम हुसैन के घर दिल्ली में हुआ था। उनमें बचपन से ही मरसिया पढ़ने की लगन थी। इसलिए वे प्रसिध मरसिया-गो मीर मुज़फ्फर हुसैन के शिष्य बन गए। जब मीर अनीस फैज़ाबाद से लखनऊ आए तो उनकी आपस में दोस्ती हो गयी।


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