Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : शरफुद्दीन यहया मनेरी

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : मकतबा-ए-शर्फ़, नालंदा

प्रकाशन वर्ष : 2003

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : सूफ़ीवाद / रहस्यवाद

उप श्रेणियां : समा और अन्य शब्दावलियाँ, सुहरवर्दिय्या

पृष्ठ : 48

सहयोगी : सुमन मिश्रा

इर्शादुत्तालिबीन व इर्शादुस्सालिकीन
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

पुस्तक: परिचय

شیخ شرف الدین یحیٰ منیریؒ کے دو رسالے ارشاد الطالبین اور ارشاد السالکین جو کہ فارسی زبان میں ہیں انھیں دنوں رسالوں کا اردو ترجمہ جناب سید شاہ ڈاکٹر محمد علی ارشد نے کیا ہے، یہ دونوں رسالے شیخ شرف الدین یحیٰ منیریؒ کے مکتوبات کے لئے مقدمہ کی حیثیت رکھتے ہیں، ان دونوں رسالوں میں خدا کی وحدانیت ، اور کلمہ لا الہ اللہ کی حقیقت پر جامع بحث کی گئی ہے ، اس کتاب میں ضبط، نفس، تقویٰ و طہارت، اخلاق و للہیت، حب اللہ اور حب رسول، خشوع و خضوع، گناہوں سے اجتناب اور عمل صالح کی ترغیب کے بارے میں آسان زبان میں گفتگو کی گئی ہے۔

.....और पढ़िए

लेखक: परिचय

हज़रत मख़दूम-ए-जहाँ शैख़ शरफ़ुद्दीन अहमद यहया  मनेरी आ’लमी शोहरत-याफ़्ता सूफ़ी और मुसन्निफ़ हैं।
आपका नाम अहमद, लक़ब शरफ़ुद्दीन, ख़िताब मख़दूम-ए-जहाँ और सुल्तानुल-मुहक़क़िक़ीन है। आपकी विलादत शा’बानुल-मुअ'ज़्ज़ज़म 661 हिज्री मुवाफ़िक़ 1263 ई’स्वी में मनेर शरीफ़ ज़िला' पटना में हुई।
आपका नसब हज़रत ज़ुबैर इब्न-ए-अ’ब्दुल मुत्तालिब से जा कर मिलता है।इस तरह आपका ख़ानदान हाशमी ज़ुबैरी है। आपके परदादा हज़रत इमाम मोहम्मद ताज फ़क़ीह अपने ज़माना के बड़े आ’लिम और नामवर फ़क़ीह थे।शाम से नक़्ल-ए-मकानी कर के बिहार के क़स्बा मनेर में क़याम-पज़ीर हुए और फिर अपनी औलाद को मनेर में छोड़ कर ख़ुद शहर-ए-मक्का लौट गए।
हज़रत मख़दूम-ए-जहाँ जब सिन्न-ए-शुऊ’र को पहुंचे तो वालिद-ए-माजिद हज़रत मख़दूम शैख़ कमालुद्दीन यहया मनेरी ने उनको मौलाना शरफ़ुद्दीन अबु तुवामा की मई'यत  में मज़ीद ता’लीम के लिए सुनारगाँव भेजा। मौलाना अबू तुवामा अपने वक़्त के बड़े मुम्ताज़ आ’लिम और मुहद्दिस थे। बा’ज़ असबाब की बिना पर देहली छोड़कर बंगाल का रुख़ किया। असना-ए- सफ़र मनेर में भी क़याम किया और यहीं आप उनके इ’ल्मी तबह्हुर से मुतअस्सिर हुए। मौलाना अबु तुवामा से तफ़्सीर,फ़िक़्ह, हदीस, उसूल, कलाम, मंतिक़, फ़ल्सफ़ा, रियाज़ियात-ओ-दीगर उ’लूम की ता’लीम हासिल की। ज़माना-ए-तालिब-ए-इ’ल्मी ही में मौलाना अबु तुवामा की साहिब-ज़ादी से आपकी शादी हुई।
आपको बैअ’त-ओ-ख़िलाफ़त हज़रत ख़्वाजा नजीबुद्दीन फ़िरदौसी से थी। आपसे सिलसिला-ए-फ़िरदौसिया की नश्र-ओ-इशाअ’त ख़ूब हुई। आपकी आ’लमी शोहरत मल्फ़ूज़ात और मक्तूबात-ए-सदी-ओ-दो-सदी से है। आज भी एक बड़ा तब्क़ा तसव्वुफ़ का हज़रत मख़दूम-ए-जहाँ की मक्तूबात का मुतालआ’ करता है।
आपका इंतिक़ाल 5 शव्वाल 786 हिज्री मुवाफ़िक़ 1380 ई’स्वी की शब में नमाज़-ए-इ’शा के वक़्त हुआ।

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए