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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : ऐश प्रिंटर्स, हैदराबाद

मूल : हैदराबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2008

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : शायरी तन्क़ीद

पृष्ठ : 164

सहयोगी : उर्दू आर्ट्स कॉलेज, हैदराबाद

isami firdousi-e-hind
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लेखक: परिचय

लखनऊ की मशहूर शायरा अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा, मशहूर नावेल निगार क़ुर्रतुल ऐन हैदर की दोस्त थीं। क़ुर्रतुल ऐन हैदर ने जो ऐनी आपा के नाम से मशहूर हैं अपने नावेल 'आग का दरिया' में  हमीद बानो का जो किरदार पेश किया है दरअसल अज़ीज़ बानो का ही किरदार है।
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा 23 अगस्त 1926 को बदायूँ में पैदा हुईं। शायरी के आलावा अफ़साना और नावेल भी लिखीं लेकिन अपना कलाम कहीं शाए नहीं कराया। जो कुछ भी लिखा, अपने ज़हनी सुकून के लिए लिखा, शोहरत से कोई दिलचस्पी न थी। उन की हवेली के सहन में एक अँधा कुआँ था, जो कुछ भी लिखतीं उस अंधे कुँए में डाल देती थीं। उन दिनों जब इंदिरा गाँधी सूचना एवं प्रसारण मंत्री थीं, बेगम सुल्ताना हयात ने इंदिरा गाँधी की सदारत में शाइरात का एक मुशायरा किया। इंदिरा गाँधी को अज़ीज़ बानो की ग़ज़लें बहुत पसंद आईं, दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ा और बड़ी हौसला अफ़ज़ाई की। देखते देखते शोहरत फ़ैल गई। 2005 में वफ़ात पाई। 2009 में उनका शेरी मज्मूआ सय्यद मोईनुद्दीन अल्वी ने गूँज के नाम से शाए किया।

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