aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
प्रताप सोमवंशी
जन्म, 2 नवंबर 1968
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के गांव हरखपुर में
गजलें-नज्में-कहानियां लिखते हैं
मलाला युसुफजई के पिता पर लिखी नज्म-ये कैसा पिता है जियाउद्दीन युसुफजई, पाकिस्तान के कई अखबारों में अंगरेजी और उर्दू में भी प्रकाशित। मलाला को नोबल मिलने वाले दिन, वाइस आफ अमेरिका ने इसे प्रसारित किया। 1991 में छपी कविता शेष कुशल है का कन्नड़, बांग्ला और असमिया में भी अनुवाद। अलग-अलग मौकों पर कोट किए जाने वाले शेरों की लंबी फेहरिस्त है।
गजल संग्रह-इतवार छोटा पड़ गया जल्द आने वाला है। देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ छपती रहीं हैं। बच्चों के लिए तीन किताबें प्रकाशित।
-पत्रकारिता के पेशे में सन 1990 से। दक्षिण एशियाई मीडिया फेलोशिपस, केसी कुलिश इंटरनेशनल मेरिट अवार्ड। सेन्टर फार साइँस स्टडीज फेलोशिप, नेशनल जर्नलिज्म फेलोशिप की ज्यूरी के सदस्य रहे।
-किसानों के सवाल और समस्याओँ पर पिछले दो दशक से लिखते रहे हैं। सिलिका खदान में काम करने वाली औरतें और बुंदेलखंड में किसान आत्महत्या लगातार लिखा। उच्च न्यायालय से लेकर संसद तक ने इस काम को संज्ञान में लिया।
-लिखने-पढ़ने और बोलने के संदर्भ में दक्षिण अफ्रीका, चीन और अमेरिका की यात्राएँ।
संप्रति-दैनिक हिन्दुस्तान के दिल्ली संस्करण के संपादक हैं।
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