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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : आज़ाद गुलाटी

प्रकाशक : पी. के. पब्लिकेशंज़, दिल्ली

मूल : नई दिल्ली, भारत

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 121

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

जिस्मों का बनबास
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पुस्तक: परिचय

زیر نظر شعری مجموعہ آزاد گلاٹی کا ہے- گلاٹی جدید لب و لہجے کے شاعر ہیں، تاہم جدیدیت سے سروکار رکھنے والوں نے ان پر توجہ نہیں دی۔ گلاٹی کی شاعری کے بارے میں بجا طور پر یہ کہا جا سکتا ہے کہ وہ جدیدیت کے لوازمات سے بخوبی واقف ہیں۔ ان کے یہاں علامتی سطح پر وہ ساری لفظیات موجود ہیں جو جدیدیت خواص ہیں مثلاً ان کے یہاں گھر، دفتر، بار، ہوٹل، سڑک، دروازے، دیواریں، پیڑ، چاندنی اور جنگل جیسی علامات و استعارات موجود ہیں۔ یہی وجہ ہے کہ جدید لب و لہجہ رکھنے والا شاعر مقامی ہو کر بھی بین الاقوامی اپیل رکھتا ہے۔ دیکھا جائے تو پنجاب سے تعلق رکھنے والا یہ شاعر خود اپنی راہ متعین کرتا ہے۔

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लेखक: परिचय

आज़ाद गुलाटी की गिनती नयी ग़ज़ल के अच्छे शायरों में होती है। वह पंजाब के जिला मियाँवाली के क़स्बे काला बाग़ में 1935 में पैदा हुए। अंग्रेज़ी साहित्य में पंजाब यूनिवर्सिटी से एम. ए. किया और पठन-पाठन के व्यवसाय से जुड़ गये। ख़ालसा कालेज जिला लुधियाना में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर रहे।

आज़ाद गुलाटी के कई काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ‘आग़ौश-ओ-ख़याल’, ‘अज़्कार’, ‘जिस्मों का बनबास’, ‘तिकोन का कर्ब’, ‘दश्त-ए-सदा’, ‘नये मौसमों के गुलाब’, ‘नयी गज़लें’, ‘आब-ए-सराब’ वग़ैरह।

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