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jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : कबीर

संस्करण संख्या : 003

प्रकाशक : वेलवेडियर प्रेस, आगरा

मूल : इलाहाबाद, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1926

भाषा : Devnagari

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 199

सहयोगी : सुमन मिश्रा

कबीर साहब का साखी-संग्रह
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लेखक: परिचय

भारतीय संत परंपरा के अग्रदूत। हिन्दू संत समाज जहाँ इन्हें रामानंद जी का शिष्य बताता है वहीं सूफ़ी संतों का एक समुदाय इन्हें झूंसी के शेख़ तक़ी सुहरावर्दी का शिष्य बतलाता है। सामाजिक रूढ़िवादिता, जात-पात और छुआछूत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी। इन्होंने पद, दोहे, झूलने आदि द्वारा इन तमाम सामाजिक विकृतियों पर प्रहार किया। इनकी उलटबासियाँ भी प्रसिद्ध हैं। कहते हैं काशी में नीरू टीले के पास जहाँ इनका घर था वहाँ एक तरफ़ वेश्याएँ रहती थीं और दूसरी तरफ़ कसाई। कबीर इनके बीच में बैठकर ही सत्संग किया करते थे। मृत्यु के पश्चात हिन्दुओं ने जहाँ इनकी समाधि वाराणसी में बनाई वहीं मुसलमानों ने मगहर में इनका रोज़ा तामीर करवाया। इनके अनुयायी कबीर पंथी कहलाए।
इनकी रचनाओं में बीजक ग्रन्थ सबसे प्रामाणिक माना जाता है| इनके पद श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भी संकलित हैं और उनकी प्रमाणिकता पर कोई संदेह नहीं है।

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