aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अज़ीज़ बाराबन्कवी, अब्दुल-अज़ीज़ (1915) ज़रा सा लहजा बदल कर अच्छी और अपनी तरह की पारंपरिक ग़ज़ल कहने वाले शाइर। बाराबन्की (उत्तर प्रदेश) में जन्म। उस्ताद शाइर अफ़्क़र मोहानी के शागिर्द थे।