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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

मुश्ताक़ देहलवी, मुन्शी बिहारी लाल (1835-1908)मिर्ज़ा ‘ग़ालिब’ के शागिर्द थे। ख़त्ताती भी सीखी थी। ‘अकमलुल-अख़बार’ नाम के अख़बार में भी काम किया। ‘ग़ालिब’ के बा’द मौलाना ‘हाली’ से भी इस्लाह ली।

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