aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
रासिख़ देहलवी, अ’ब्दुर्रहमान (1863-1907)पानीपत (हरयाना) में आँखें खोलीं मगर उ’म्र का बड़ा हिस्सा देहली में गुज़रा। अ’रबी, फ़ारसी और धार्मिक ग्रंथों का गहरा ज्ञान था। रूमी की मस्नवी की व्याख्या लिखी जो बहुत मशहूर हुई।
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