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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मौलाना जलालुद्दीन रूमी

संपादक : मौलाना अशरफ़ अली थानवी

प्रकाशक : मतबा इंतिज़ामी, कानपुर

मूल : कानपुर, भारत

भाषा : Urdu, Persian

श्रेणियाँ : शाइरी, सूफ़ीवाद / रहस्यवाद

उप श्रेणियां : मसनवी

पृष्ठ : 354

अनुवादक : मौलाना अशरफ़ अली थानवी

सहयोगी : हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद

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लेखक: परिचय

पूरा नाम जलालुद्दीन रूमी. इनकी मसनवी को क़ुरआनी पहलवी भी कहते हैं. इसमें 26600 दो-पदी  छंद हैं , कहा जाता है कि निशापुर में इनकी भेंट प्रसिद्ध सूफ़ी संत शेख़ फ़रीदुद्दीन अत्तार से भी हुई थी.  फ़रीदुद्दीन अत्तार ने इन्हें अपनी इलाहीनामा की एक प्रति भेंट भी की थी.  रूमी की दो शादियाँ हुईं, जिनसे इन्हें दो बेटे और एक बेटी पैदा हुई थी.  विनफ़ील्ड के अनुसार रहस्यवाद में रूमी की बराबरी कोई नहीं कर सकता. रूमी शम्स तबरेज़ को अपना मुर्शिद मानते थे और उनकी रहस्यमयी मृत्यु के बाद उन्होंने अपने दीवान का नाम भी अपने मुर्शिद के नाम पर ही रखा. रूमी की मसनवी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में शुमार होती है|

प्रमुख रचनायें

१. मसनवी

२. दीवान-ए-शम्स तबरेज़

 

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