aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
सैफ़, सैफ़ुद्दीन (1922-1993) नए विचार-जगत और भाव-संसार की हलचलों को शाइरी बनाने वाले शाइरों में शामिल। नौजवानी में तेज़ मिज़ाजी इतनी थी कि किसी राजनैतिक समस्या पर कहासुनी हुई तो कालेज छोड़ दिया और पढ़ाई से भी हाथ धो लिया। काम की तलाश में फ़िल्मी दुनिया तक पहुँचे और उसी के हो गए। अमृतसर में पहली और लाहौर में आख़िरी साँस ली।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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