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हकीम अहमद शुजा उर्दू के प्रसिद्ध निबंधकार, नाटककार, कहानीकार और कवि हकीम अहमद शुजा का जन्म 4 नवंबर 1896 को हुआ था। उन्होंने लाहौर से मैट्रिक पास करने के बाद अलीगढ़ कॉलेज से एफ.ए., फिर मेरठ कॉलेज से बी.ए. किया और आगे चलकर एम.ए. किया। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ने के बाद उन्होंने शिक्षण को अपना पेशा बनाया।
1920 में वे पंजाब असेंबली से जुड़े और बाद में असेंबली के सचिव के पद तक पहुँचे। साथ ही, 1948 से 1969 तक वे मजलिस-ए-ज़बान-ए-दफ्तरी के सचिव भी रहे। उनकी देखरेख में हजारों अंग्रेज़ी शब्दों का उर्दू में अनुवाद किया गया।
हकीम अहमद शुजा को उर्दू के प्रमुख नाटककारों में गिना जाता है। उन्होंने कई कहानियाँ, एक उपन्यास और कुछ फ़िल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं। उन्होंने एक साहित्यिक पत्रिका "हज़ार दास्तान" और बच्चों की पत्रिका "नूनहाल" भी निकाली।
उन्होंने अपनी आत्मकथा "ख़ून बहा" नाम से लिखी, और लाहौर के भीतरू भाटी दरवाज़े की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक इतिहास को "लाहौर का चेल्सी" नामक पुस्तक में दर्ज किया। वे कुरान की तफ़सीर (व्याख्या) भी लिख रहे थे जिसका नाम "अफ़्सहुल बयान" था, लेकिन दुर्भाग्यवश यह कार्य पूरा नहीं हो सका और वे केवल पाँच पारे (अध्याय) ही लिख पाए।
हकीम अहमद शुजा का 4 जनवरी 1969 को लाहौर में निधन हो गया और उन्हें मियानी साहिब कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।