aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
مختلف علوم میں ماہر ہونے کے باوجود عمر خیام کی شہرت کا سرمایہ اس کی فارسی رباعیات ہیں۔ اس رباعیوں کی زبان بڑی سادی، سہل اور روان ہے۔ لیکن ان میں فلسفیانہ رموزہیں جو اس کے ذاتی تاثرات کی آئینہ دار ہیں۔ سب سے پہلے جو چیز عمر خیام کی رباعیوں میں ہمیں نمایاں نظر آتی ہے وہ انسانی زندگی کے آغاز وانجام پر غور وخوص ہے۔ اس بلند پایہ شاعر کا علمی دنیا سے تعارف کرانے میں اہل یورپ نے بڑھ چڑھ کر حصہ لیا، اس کے علاوہ کئی زبانوں میں تراجم بھی ہوئے، زیر نظر کتاب عمر خیام کی منتخب رباعیوں کا منظوم اردو ترجمہ ہے، اس مجموعہ کے ہر صفحہ پر اصل متن اور سامنے اس کا اردو ترجمہ دیا گیا ہے۔ یہ کتاب ایک ساتھ دو زبانوں کا لطف دیتی ہے۔
अपनी किताब रुबाइयात के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध| ख्याति-प्राप्त शाइर होने के साथ साथ बड़े गणितज्ञ भी थे . फिट्जगेराल्ड द्वारा इनकी रुबाइयात के अनुवाद के बाद इनका नाम मशरिक और मग़रिब दोनों में मक़बूल हो गया | मौलाना रूमी की मसनवी के बाद सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में रुबाइयात का शुमार होता है| कहा जाता है कि किसी वक़्त सूफ़ी ख़ानक़ाहों में आने वाले नवागंतुक विद्यार्थियों को उमर ख़य्याम की रुबाइयात पढ़ने के लिए दी जाती थी और उनसे पूछा जाता था कि आपने क्या समझा ? नवागंतुक के उत्तर पर यह निर्भर करता था कि उसे ख़ानक़ाह में प्रवेश मिलेगा अथवा नहीं | भारत में रुबाइयात का हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री हरिवंश राय बच्चन साहेब ने ख़य्याम की मधुशाला के नाम से किया है| इनकी रुबाइयात से प्रेरित होकर ही उन्होंने बाद में मधुशाला लिखी जो हिंदी की एक अमर कृति है | ख़य्याम की इच्छा थी कि उनकी क़ब्र ऐसी जगह पर बने जहाँ पेड़ साल में दो बार फूल बरसाया करें| उनकी यह इच्छा भी पूर्ण हो गयी| इनकी दरगाह निशापुर में है जहाँ शेफ़्तालू और नाशपाती के पेड़ साल में दो दफ़ा फूल बरसाते हैं |
प्रमुख रचना रुबाइयात है .
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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