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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : क़ाएम चाँदपुरी

संपादक : इक़्तिदा हसन

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : सय्यद इम्तियाज़ अली ताज, मज्लिस-ए-तरक़्क़ी-ए-अदब, लाहौर

प्रकाशन वर्ष : 1965

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : कुल्लियात

पृष्ठ : 475

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

कुल्लियात-ए-क़ाइम
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पुस्तक: परिचय

زیر نظر قائم چاند پوری کا کلیات ہے۔ کلیات قائم دو حصوں میں منقسم ضخیم ہے۔ پہلا حصہ غزلیات اور دوسرا حصہ رباعیات ، مثنویوں ، قصائد اور دیگر کلام پر مشتمل ہے۔ قائم چاند پوری نے زیادہ تر غزلیات لکھی ہیں لیکن اس کے ساتھ دیگر اصناف میں بھی طبع آزمائی کی ہے۔اس کے علاوہ فارسی کا مختصر کلام بھی شامل کلیات ہے۔ یہ کلیات اردو کلاسیکی ادب میں ایک اہم اضافہ ہے۔ اس کلیات کو ڈاکٹر اقتدا حسن نے مرتب کیا ہے۔ کلیات کے پہلے حصے کے شروع میں بہت تفصیلی طور پر قائم چاند پوری کے حالات، ان کے مختلف جگہوں پر قیام، تصانیف اور تلامذہ پر روشنی ڈالی گئی ہے۔ دونوں جلدوں کے اخیر میں حواشی اور فرہنگ کا خصوصی اہتمام کیا گیا ہے جس سے کلیات کی وقعت میں مزید اضافی ہوگیا ہے۔

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लेखक: परिचय

अठारहवीं सदी के मुम्ताज़ शाइ'रों की सफ़-ए-अव्वल में शामिल हैं। ‘क़ाएम’ चाँदपुरी की पैदाइश तक़रीबन 1725 में क़स्बा चाँदपुर, ज़िला बिजनौर के क़रीब 'महदूद' नाम के एक गाँव में हुई थी लेकिन बचपन से दिल्ली में आ रहे और अपने तज़्किरा ‘मख़्ज़न-ए–निकात’ की तारीख़-ए-तसनीफ़ या'नी 1755 तक शाही मुलाज़मत के सिलसिले से दिल्ली में रहे। दिल्ली की तबाही और हालात की ना-साज़गारी से बद-दिल होकर दिल्ली से टांडा पहुँचे। जब यहाँ के हालात भी अबतर हो गए तो उन्हें मजबूरन टांडा भी छोड़ना पड़ा। इस तरह उ’म्र भर रोज़गार की तलाश में हैरान-ओ-परेशान वो एक शहर से दूसरे शहर में फिरते रहे, आख़िर 1780 में रामपुर चले गए जहाँ 1794 में क़ैद-ए-हयात से नजात पाई।

इस्लाह-ए-शे'र-ओ-सुख़न के सिलसिले में 'क़ाएम' सब से पहले शाह हिदायत की सोहबत से फ़ैज़-याब हुए उसके बा’द पहले ख़्वाजा मीर 'दर्द' और फिर मोहम्मद रफ़ीअ’ 'सौदा' के शागिर्द हुए।

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