aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
साक़ी, पंडित जवाहर नाथ कौल (1864-1916) देहली के एक प्रतिष्ठित कश्मीरी पंडित घराने के चश्म-ओ-चराग़ थे। 15 साल के थे कि शे’र कहने लगे। फ़ारसी और उर्दू ज़बानों में मश्क़-ए-सुख़न करते थे। कुछ अ’र्से तक मिर्ज़ा ग़ालिब के मुम्ताज़ शागिर्द ‘ज़की’ देहलवी को कलाम दिखाया। ‘साहिर’ देहलवी की तरह उनकी शाइ’री में भी वेदान्त और तसव्वुफ़ की बसीरतें यकजा हो कर एक नए रहस्यवाद की झलक दिखाती हैं।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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