by मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई
majmua-e-mirza azeem beg chughtai
Dastan, Drame, Mazameen
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Dastan, Drame, Mazameen
عظیم بیگ چغتائی کو ادب نواز طبقے نے "مصور ظرافت" کا خطاب عطا کیا۔ اور حقیقتا عظیم بیگ چغتائی اس خطاب کے مستحق تھے۔ انہوں نے افسانہ کو اپنے شوخ اور لطیف انداز بیاں کے ذریعے ایک نئے آہنگ سے روشناس کروایا۔ مرزا عظیم بیگ چغتائی زود نویس افسانہ اور ناول نگار تھے۔ یوں تو ان کو اردو ادب میں ایک افسانہ نویس اور ناول نگار کی حیثیت سے شہرت نصیب ہوئی لیکن انہوں نے مختلف موضوعات پر برجستہ قلم اٹھایا تھا۔ زیر نظر "مجموعہ عظیم بیگ چغتائی" میں مرزا کے مضامین، دو ڈرامے اور ایک داستان شامل ہے۔ یہ مضامین مختلف سماجی موضوعات پر لکھے گئے ہیں، جن میں طنز اور مزاح کمال کا ہے۔ ان مضامین سے اندازہ ہوتا ہے کہ مرزا گو کہ ناول و افسانہ کے آدمی تھے لیکن برجستہ طور پر کسی بھی موضوع پر کامیاب قلم اٹھا سکتے تھے۔ ان مضامین کا اسلوب عظیم بیگ چغتائی کو دوسرے لکھنے والوں سے ممتاز کرتا ہے۔ ان مضامین کو صلاح الدین محمود نے بڑی محنت سے ترتیب دیا ہے۔
उर्दू के लोकप्रिय हास्यकारों में एक नाम अज़ीम बेग चुग़ताई का है। उनके हल्के फुल्के हास्य की बुनियाद लड़कपन की शरारतों पर है जिनसे हर इंसान को कभी न कभी सामना हुआ है। इसलिए आम लोगों ने उनके हास्य को बहुत पसंद किया।
अज़ीम बेग चुग़ताई का जन्म जोधपुर में हुआ। वहीं आरंभिक शिक्षा पाई। जन्म से निधन तक बीमारी का सिलसिला जारी रहा। बेहद कमज़ोर थे इसलिए बहन भाईयों को डाँट पड़ती रहती थी कि उन्हें न छेड़ें, उन्हें न सताएं। कहीं ऐसा न हो चोट लग जाए। इस व्यवहार का उनके व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ा और स्वभाव में एक मनोवैज्ञानिक गिरह पड़ गई। इस्मत चुग़ताई उनकी बहन थीं। उन्होंने “दोज़ख़ी” शीर्षक से उनका रेखाचित्र लिखा और उनकी मनोवैज्ञानिक पेचीदगियों का बहुत दिलचस्प अंदाज़ में उल्लेख किया। निरंतर बीमारी के कारण शोर शराबा और उछल कूद उनके बस की बात नहीं थी। इस कमी को उन्होंने हास्य लेखन से पूरा किया। लड़कपन की जिन शरारतों की तस्वीरें अज़ीम बेग चुग़ताई अपने लेखन में खींचते हैं वो इस कमज़ोरी की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। लम्बे समय तक वो हृदय रोग से पीड़ित रहे। सन् 1941 में उनका निधन हुआ।
ये बात भी ध्यान में रखने की है कि अज़ीम बेग चुग़ताई समाज की ख़राबियों से दुखी थे और सुधार की इच्छा रखते थे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने हास्य और व्यंग्य लेख भी लिखे। इसके अलावा “क़ुरआन और पर्दा” जैसी संजीदा किताब भी लिखी।
शरीर बीवी, कोलतार और ख़ानम को उर्दू अदब में बहुत ख्याति प्राप्त हुई।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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