by पंडित चंद्र भान बरहमन
majmua-e-rasail
Shariq-ul-Marifat, Asrar-e-Atwar, Ram Gita Wa Masnavi Chandra Bhan Barhaman
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
Shariq-ul-Marifat, Asrar-e-Atwar, Ram Gita Wa Masnavi Chandra Bhan Barhaman
मजमुआ-ए-रसाइल चार महत्वपूर्ण फारसी ग्रंथों का संग्रह है ह, जो हिंदू मिथोलॉजी और सूफीवाद के गहरे दर्शन को व्यक्त करता है। पहला ग्रंथ, शारिक़-उल-मारिफ़त, श्री कृष्ण के उपदेशों पर आधारित है, जो गीता, योग वसिष्ठ, भगवद और वेदांत में दिए गए हैं। इसमें कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ महान संवाद विस्तार से बताया गया है, जो पाठक को आध्यात्मिकता के असली अर्थ से परिचित कराता है। दूसरा ग्रंथ, अत्वार दर हल्ल-ए-असरार, श्री विष्णु और रामचंद्र जी की सत्य के मार्ग की खोज पर आधारित है। इसमें सांसारिक इच्छाओं से विरक्ति और आध्यात्मिक सत्य की खोज के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। तीसरा ग्रंथ, राम गीता, रामचंद्र जी के उपदेशों और उनके जीवन दर्शन पर चर्चा करता है। इसमें राम जी के आध्यात्मिक उपदेशों को दिल को छूने वाले तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को नैतिक परिपक्वता और धार्मिक समझ की ओर प्रेरित करता है। चौथा ग्रंथ मसनवी-ए-राय चंदरभान ब्राह्मण है, जो चंदर भान ब्राह्मण की स्वयं रचित मसनवी पर आधारित है। यही चंदर भान ब्राह्मण थे जिन्होंने दारा शिकोह को हिंदू धर्म की गहराईयों से परिचित कराया, जिससे दारा शिकोह ने उपनिषदों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कार्य था। ये ग्रंथ 1885 में मुंशी नवल किशोर प्रेस, लखनऊ से प्रकाशित हुए थे। ये हिंदू धर्म के उपदेशों, दर्शन और आध्यात्मिक विकास पर प्रकाश डालते हैं।