aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
اس کتاب کی نظمیں تشریحاتی اور تاثراتی ہیں۔ اس مجموعہ میں چار حصے ہیں۔ پہلا حصہ " شب ناب" کے عنوان سے ہے ۔اس کی شروعات جس نظم سے کی گئی ہے اس کا عنوان " رات کی بات " ہے۔ اس میں مختلف عناوین کی نظمیں اور کچھ غزلیں بھی ہیں۔ دوسرا حصہ " سدا رنگ ہے۔ اس میں کلاسیکی موسیقی کے راگوں سے متعلق منظومات ہیں ۔ تیسرا حصہ " بوئے رفتہ" غزلوں پر مشتمل ہے۔ آخری حصہ " کیا خبر اس مقام سے گزرے ہیں کتنے کارواں" کے عنوان سے ہے اوراس میں مختلف صنف کے گیت ہیں۔ شعر کے متعلق کہا جاتا ہے کہ شاعر کو اپنے دل کے کسی پُر اسرار کرب کو آسودہ کرنے کے لئے لکھنا پڑتا ہے۔اس مجموعے میں ایسا ہی کچھ محسوس ہوتا ہے اور شاعر کے غم جاناں اور غم دوراں کا عکس یہاں نظر آتا ہے۔
हल्क़ाए अरबाबे ज़ौक़ को वैचारिक ,गुणात्मक और भाषाई स्तर पर अलग पहचान देने वालोँ में मुख़्तार सिद्दीक़ी का नाम बहुत महत्वपूर्ण है. उनकी शायरी ने नये भाषाई अनुभवों को सामने लाने और नज़्म की नई सूरतों को परिचय कराने में मुख्य भूमिका निभाई है.
मुख़्तार सिद्दीक़ी 1917 को सियालकोट में पैदा हुए. उनका असल नाम मुख़्तारुल्हक़ सिद्दीक़ी था. गुजरांवाला और लाहौर में शिक्षा प्राप्त की. सीमाब अकबराबादी के ख़ास शागिर्दों में से थे. पाकिस्तान की स्थापना के बाद से वह पाकिस्तान रेडियो से सम्बद्ध हो गये, उसके बाद पाकिस्तान टेलीविजन में स्क्रिप्ट राइटर के अपनी सेवाएँ दीं.
मुख़्तार सिद्दीक़ी के काव्य संग्रह, मंज़िले शब,सह हर्फ़ी, और आसार के नाम से प्रकाशित हुए.शायरी के अलावा मुख़्तार सिद्दीक़ी ने अनुवाद भी किये और ड्रामे भी लिखे.1972 में देहांत हुआ.
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