Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मोहम्मद काज़िम

प्रकाशक : तख़्लीक़कार पब्लिर्शज़, दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 2001

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : नाटक / ड्रामा, शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : फ़िक्शन तन्क़ीद

पृष्ठ : 158

सहयोगी : शमीम हनफ़ी

mashriqi hind mein urdu nukkad natak
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

प्रोफ़ेसर मुहम्मद काज़िम (पैदाइश 26 जनवरी1971) दिल्ली यूनीवर्सिटी के उर्दू विभाग में अध्यापन से जुड़े हैं। इन्होंने शुरुआती तालीम कलकत्ता डक लेबर बोर्ड प्राइमरी स्कूल और हाई स्कूल प्रसिद्ध सी.एम.ओ हाईस्कूल कलकत्ता से1987 में पूरा किया। कलकत्ता यूनीवर्सिटी के मौलाना आज़ाद कॉलेज से उर्दू ऑनर्स के साथ ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी से एम.ए, एम.फिल, मास मीडिया और पी.एचडी की डिग्रियाँ हासिल कीं। अपनी तालीम के ज़माने में ही उर्दू अख़बारों से जुड़े रहे और कई अख़बारों के लिए कॉलम लिखे। सन्1998 में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इन्फ़ार्मेशन सर्विस में संघलोक सेवा आयोग द्वारा चयन हुआ और 2002 तक मंत्रालय के पब्लिकेशन्स डिविज़न से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिका 'आजकल’ के संपादकीय टीम के सदस्य रहे। इस बीच इन्होंने एडिटर महबूब उर्रहमान फ़ारूक़ी साहब के साथ मिलकर 'आजकल के ड्रामे’, ‘आजकल के मज़ामीन’, ‘आजकल के अफ़साने’, ‘आजकल और सहाफ़त’ और ‘आजकल और ग़ुबार-ए-कारवाँ’ जैसी अहम किताबें संपादित कीं। 2001 में इनकी किताब 'मशरिक़ी हिंद में उर्दू नुक्कड़ नाटक’ शाए हुई। सन् 2002 में दिल्ली यूनीवर्सिटी के उर्दू विभाग में उनकी नियुक्ति लेक्चरर के रूप में हुई। सन् 2014 में आपकी पदोन्नति एसोसिएट प्रोफ़ेसर और 2017 में प्रोफ़ेसर के पद पर हुई और अब तक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस दौरान यूनीवर्सिटी प्रबंधन की तरफ़ से दी गई अतिरिक्त ज़िम्मेदारियाँ भी बख़ूबी निभा रहे हैं जिनमें यूनीवर्सिटी डिप्टी प्रॉक्टर और कई  हॉस्टल के वार्डन वग़ैरा अहम हैं। केवल दिल्ली यूनीवर्सिटी ही नहीं बल्कि कई अन्य संस्थाओं और शिक्षण संस्थाओं में विज़िटिंग फैकल्टी के रूप में भी वह बराबर  काम करते हैं जिनमें चौधरी चरण सिंह यूनीवर्सिटी मेरठ, जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी दिल्ली,सिरी राम सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट नई दिल्ली और नेशनल स्कूल आफ़ ड्रामा जैसे प्रतिष्ठित और मशहूर संस्थाएं प्रमुख हैं। उनका ख़ास मैदान ड्रामा और उसकी आलोचना है। लगभग बीस ड्रामे उनके निर्देशन में पेश किए जा चुके हैं जिन्हें उर्दू एकेडमी दिल्ली ने आठ साल लगातार अपने उर्दू ड्रामा फ़ेस्टीवल में शामिल किया और पाँच साल निरंतर साहित्य कला परिषद, दिल्ली सरकार ने बेहतरीन निर्देशक और बेहतरीन ड्रामा लेखक के ख़िताब से    नवाज़ा है। इसके अलावा हिंदुस्तान के कई राज्यों के अनगिनत ड्रामा फ़ेस्टीवल में निर्देशक के रूप में शिरकत करते हैं। रोज़नामा 'क़ौमी आवाज़’ में पाँच साल तक ड्रामे पर हर सप्ताह कॉलम लिखते रहे हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी के मुख़्तलिफ़ ड्रामों को उर्दू में और उर्दू के मशहूर ड्रामों को हिन्दी में तर्जुमा करके शाए करवा चुके हैं। ड्रामे की दुनिया के ख्याति प्राप्त 'बहरूप आर्टस ग्रुप’ के संस्थापक जनरल सेक्रेटरी हैं। इसके अलावा उनकी प्रकाशित किताबों में 'उर्दू ड्रामा: फ़न, तारीख़ और तजज़िया, हिंदुस्तानी नुक्कड़ नाटक और उसकी समाजी मानवियत, बंगाल में उर्दू नुक्कड़ नाटक, मशरिक़ी हिन्द में उर्दू नुक्कड़ नाटक, योग राज की कहानियां, दास्तान गोई (उर्दू और हिन्दी), मुज्तबा हुसैन फ़न और शख़्सियत, योग राज की कहानियां, नसर ग़ज़ाली: फ़न और शख़्सियत, इशारिया माहनामा साइंस उर्दू अहम हैं। इसके साथ ही अनूदित किताबों में हेनरिक इब्सन के तीन ड्रामे, सितम की इंतहा क्या है?(ज़ब्त शुदा ड्रामे),मेरे बिस्तर के नीचे, घाट वाली बिल्ली, मेरी परदादी और परनानी जैसी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन किताबों के अलावा उनकी लेखन यात्रा जारी है। प्रोफ़ेसर मुहम्मद काज़िम हिंदुस्तान के कई राज्यों के अलावा मारिशस,मिस्र,तुर्की,उज़बेकिस्तान और बंगलादेश आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं। हिंदुस्तान के कई राज्यों से प्रकाशित होने वाली तीस से ज़्यादा किताबों में उनके आलेख शामिल हैं। साठ से ज़्यादा शोध और आलोचनात्मक लेख देश और विदेशों के विभिन्न स्थानों से निकलने वाली पत्रिकाओं में शाए हो चुके हैं। लगभग एक सौ बीस नेशनल और इंटरनेशनल सेमिनारों-कांफ्रेंसों मे विभिन्न विषयों पर अपने आलेख पेश कर चुके हैं। मारिशस सरकार की उर्दू स्पीकिंग यूनियन के विशेष आमंत्रण पर मारिशस में उर्दू ड्रामे के विकास के लिए दस दिन का वर्कशॉप किया जिसमें स्क्रिप्ट लेखन और अदाकारी के फ़न की बारीकियों पर बातचीत के साथ साथ उसका अभ्यास भी कराया। उनके शोधपरक, आलोचनात्मक और थीएटर की सेवाओं का सम्मान करते हुए दिल्ली उर्दू अकेडमी, पश्चिम बंगाल उर्दू अकेडमी, राजस्थान उर्दू अकेडमी और बिहार उर्दू अकेडमी ने पुरस्कार व सम्मान से नवाज़ा है। इसके अलावा ड्रामा और थीएटर की सेवाओं को स्वीकार करते हुए उन्हें 'कुल हिंद नियाज़ अहमद ख़ां अवॉर्ड (2021) मुस्लिम इंस्टिट्यूट कोलकाता और ड्रामा के लिए ग़ालिब इंस्टिट्यूट का ख्याति प्राप्त ‘हम सब ग़ालिब अवॉर्ड’ (2017) पेश किया जा चुका है।

प्रोफ़ेसर मुहम्मद काज़िम का साहित्यिक सफ़र जारी है। उनके शोध व आलोचनात्मक लेख और किताबें न केवल छात्रों बल्कि उर्दू के संजीदा पाठकों के लिए अहमियत रखते हैं। 

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए