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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हातिम अली मेहर

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : मतबा असना अशरी, लखनऊ

मूल : लखनऊ, भारत

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 36

सहयोगी : असलम महमूद

masnawi hamdam aakhirat
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लेखक: परिचय

मेह्र, मिर्ज़ा हातिम अ’ली बेग (1815-1879)अलीगढ़ (उ॰प्र॰) के थे। मिर्ज़ापुर में मुन्सिफ़ के पद पर रहे। हाईकोर्ट में वकालत भी करते थे। कुछ दिन आगरा में आनरेरी मजिस्ट्रेट रहने का भी मौक़ा मिला। 1857 की जंग के दौरान अंग्रेज़ों को पनाह देने के इनाम में जागीर मिली। मिर्ज़ा ग़ालिब से गहरे संबंध थे। मेह्र के नाम उनके कई ख़त मौजूद हैं।

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