aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
इनका तखल्लुस 'मोहसिन काकोरवी' और वास्तविक नाम मोहम्मद हसन है। काकोरी (लखनऊ के पास) में पैदा हुए। इन्होंने शाइरी की शुरुआत ग़ज़लों से की। मगर फिर ज़िंदगी भर नात (पैगम्बर साहब की प्रशंसा में की जाने वाली शाइरी) लिखते रहे। उनका नातिया कसीदा "सक्त-ए-काशी से चला जानिब-ए-मथुरा बादल" बहुत मशहूर हुआ। इसमें उन्होंने ने हिंदू और हिंदोस्तानी प्रतीकों का इस्तेमाल करके नातिया शाइरी को बिल्कुल नई बुनियादों पर स्थापित किया।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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