aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
आफ़्ताब हुसैन का जन्म पाकिस्तान में हुआ और वो 80 की दहाई में उर्दू शाइ’री के उफ़ुक़ पर उभरे। यूनीवर्सिटी ओरीएनटल कॉलेज लाहौर से उर्दू साहित्य की शिक्षा प्राप्त करने के बाद इसी शह्र में असिसटेंट प्रोफ़ैसर के तौर पर कार्यरत रहे। इसी बीच हल्क़ा-ए-अर्बाब-ए-ज़ौक़ लाहौर के सेक्रेट्री भी रहे। पाकिस्तान में मार्शल ला के बाद 2000 में सयासी वजूहात की बिना पर मुल्क छोड़ना पड़ा। कुछ अ’र्सा हिन्दोस्तान में रहे। वहाँ से अदीबों के आ’लमी इदारे (P.E.N) की दावत पर जर्मनी चले गए। 2003 में वयाना, ऑस्ट्रिया मुन्तक़िल हो गए। वयाना यूनिवर्सिटी से तुलनात्मक साहित्य में पी. एच. डी. की उपाधी ली और इसी यूनिवर्सिटी में दक्षिनी एशिया के साहित्य और संस्कृति का अध्यापन करते हैं। आफ़्ताब हुसैन का पहला शे’री मज्मूआ ‘मत्ला’’ पाकिस्तान और भारत दोनों मुल्कों से शाए’ हुआ। इस किताब ने उन्हें शाइ’र के तौर पर ए’तिबार और वक़ार बख़्शा। इसके साथ साथ हिन्दी, अंग्रेज़ी और जर्मन में उनकी शाइ’री के तीन मज्मूए’ छप चुके हैं। वो जर्मन से उर्दू में सीधे अनुवाद भी करते हैं। इस सिलसिले में पाओल सीलान, जॉर्ज टराकल, रोज़े आओस लैंडर और काफ़्का के तराजिम किताबी शक्ल में शाए’ हो चुके हैं। आफ़्ताब हुसैन कुछ बरसों से माइग्रेंट साहित्य पर अधारित एक दुभाशी (अंग्रेज़ी-जर्मन) पत्रिका का संपादन कर रहे हैं।
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets