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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अमीर हम्ज़ा साक़िब

प्रकाशक : दहलीज़ पब्लिकेशंज़, नई दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 2014

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 146

सहयोगी : अमीर हम्ज़ा साक़िब

मौसम-ए-कश्फ़
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पुस्तक: परिचय

امیر حمزہ ثاقب ہندوستان کی اس نئی نسل سے تعلق رکھتے ہیں جن کی شاعری نے ایک طویل حبس زدہ شعری فضا میں خوشگوار جھونکوں کا احساس دلایا ہے۔موسم کشف ان کا پہلا شعری مجموعہ ہے جو ۲۰۱۴ میں چھپ کر آیا ہے ۔یہ شاعری اپنی لسانی تشکیلات کی وجہ سے خاصی اہم ہے ۔ امیر حمزہ ثاقب کا کلاسیکی شعور ان کے شعری اظہار کی بنیادی شناخت ہے ،ان کے یہاں غزل میں تجربے کے نام پر جو کچھ ہے اس کا رشتہ بھی کلاسیکی غزل سے جڑتا ہے۔یہاں دیکھنے کی بات یہ کہ ایک صحت مند کلاسیکی شعور کس خوبصورتی کے ساتھ ایک جدید تر متن کی تخلیق میں اساسی کردار ادا کرتا ہے۔موسم کشف پڑھئے اور دیکھئے کہ غزل کی صنف اپنی روایت میں رہ کر بھی کن کن صورتوں میں جدید ہو سکتی ہے۔

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लेखक: परिचय

अमीर हमज़ा साक़िब का जन्म 1 जून, 1970 को मुंबई में हुआ। उनका आबाई वतन आज़मगढ़ है। एम.ए. करने के बाद उन्होंने समदिया जूनियर कॉलेज में पढ़ाया। वे मशहूर शायर शाकिर अदबी के प्रतिभाशाली शिष्य हैं और अक्सर पत्रिकाओं की शोभा बनते रहते हैं।ऑल इंडिया रेडियो पर भी अपने उस्ताद की तरह शायरी सुनाते हैं। ग़ज़लें नए रंग में कहते हैं और पढ़ने का अंदाज़ भी अच्छा है।वे शोध कार्य भी कर रहे हैं। शायरी के अलावा उन्हें अफ़साना-निगारी और मज़्मून-निगारी में भी दिलचस्पी है। कई कार्यक्रमों का संचालन भी अमीर हमज़ा साक़िब के ज़िम्मे रहा और वे शोधपत्र भी पढ़ते रहे हैं। नई पीढ़ी से उनका गहरा संबंध है। उन्होंने अपने अनूठे अंदाज़ की बुनियाद पर अपनी अलग पहचान बनाई है और उन्हें आलोचकों ने सराहा है। पिछले कई वर्षों से वे ग़ुलाम मोहम्मद वुमेन्स कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर हैं।वे अक्सर छात्रों के मार्गदर्शन के लिए साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं और कम बोलते हैं। उनका काव्य-संग्रह 'मौसम-ए-कशफ़' और इसी पुस्तक का नागरी लिपि में प्रकाशन 'जिस्म का बर्तन सर्द पड़ा है' के नाम से रेख़्ता पब्लिकेशंस से हुआ है।

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