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लेखक : मुईन अहसन जज़्बी

संपादक : ज़फ़रुल इस्लाम

प्रकाशक : एजुकेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2022

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : लेख एवं परिचय

उप श्रेणियां : लेख

पृष्ठ : 128

सहयोगी : सालिम सलीम

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लेखक: परिचय

मुईन अहसन जज़्बी की गिनती मशहूर प्रगतिशील शाइरों में होती है. लेकिन आंदोलन और उसके अदबी व सामाजिक विचारधारा से जज़्बी की सम्बद्धता विभन्न स्तरों पर थी. वह उन प्रगतिवादियों में से नहीँ थे जिनकी कला वैचारिक प्रोपगेंडे में आहूत होगयी. जज़्बी की शिक्षा क्लासिकी काव्य परम्परा की छाया में हुई थी इसलिए वह अदब में प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति के बजाय परोक्ष और सांकेतिक अभिव्यक्ति पर ज़ोर देते थे. जज़्बी ने नज़्में भी कहीं लेकिन उनकी स्रजनात्मक अभिव्यक्ति की मूल विधा ग़ज़ल ही रही. उनकी ग़ज़लें नये सामाजिक और इन्क़लाबी चेतना के साथ क्लासिकी रचाव से भरपूर हैं.
मुईन अहसन जज़्बी की पैदाइश 21 अगस्त 1912 को मुबारकपुर आज़मगढ़ में हुई. वहीँ उन्होंने हाईस्कूल का इम्तिहान पास किया. सेंट् जोंस कालेज आगरा से 1931 में इंटर किया और एंग्लो अरबिक कालेज से बी.ए. किया. जज़्बी नौ साल की उम्र से शे’र कहने लगे थे. आरम्भ में हामिद शाहजहांपुरी से अपने कलाम की त्रुटियाँ ठीक कराईं. आगरा में मजाज़, फ़ानी बदायुनी और मैकश अकबराबादी से मुलाक़ातें रहीं जिसके कारण जज़्बी की स्रजनात्मक क्षमता निखरती रही. लखनऊ प्रवास के दौरान अली सरदार जाफ़री और सिब्ते हसन से नज़दीकी ने उन्हें साहित्य के प्रगतिवादी विचारधारा से परिचय कराया जिसके बाद जज़्बी अलीगढ़ में एम.ए. के दौरान आंदोलन के सक्रिय सदस्यों में गिने जाने लगे. एम.ए. करने के बाद कुछ अर्से तक जज़्बी ने माहनामा ‘आजकल’ में सहायक सम्पादक के रूप में अपनी सेवाएँ दीं. 1945 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रूप में नियुक्ति होगयी जहाँ वह अंतिम समय तक विभन्न पदों पर रहे.
मुईन अहसन जज़्बी ने शाइरी के अलावा आलोचना की कई अहम किताबें भी लिखीं. ‘हाली का सियासी शुऊर’ पर उन्हें डॉक्टरेट की डिग्री भी मिली और यह किताब हाली अध्ययन में एक संदर्भ ग्रंथ के रूप में भी स्वीकार की गयी. इसके अतिरिक्त ‘फ़ुरोज़ां’, ‘सुखन-ए-मुख्तसर’ और ‘गुदाज़ शब’ उनके काव्य संग्रह 
हैं. 13 फ़रवरी 2005 को जज़्बी का देहांत हुआ.

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