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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मेला राम वफ़ा

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : यूनाइटेड इंडिया प्रेस, लखनऊ

मूल : लखनऊ, भारत

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 24

सहयोगी : असलम महमूद

muntakhab majmua-e-kalam
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लेखक: परिचय

पंडित भगत राम के बेटे और पंडित जय दास के पोते,उपन्यासकार,शायर,पत्रकार और पंजाब सरकार से "राज कवि" का खिताब पाने वाले पंडित मेला राम,मेला राम वफ़ा के नाम से जाने जाते है। उनका जन्म 26 जनवरी 1895 को गाँव दीपोके जिला सियालकोट में हुआ। बचपन में गाँव में पशु चराने जाया करते थे।कई अख़बारों के संपादक रहे,नेशनल कालेज लाहौर में उर्दू फ़ारसी के अध्यापन का काम भी किया। बागियाना नज़्म ''ए फ़िरंगी'' लिखने के जुर्म में दो साल की कैद हुई । शे'री संग्रह सोज-ए-वतन और संग-ऐ-मील के अलावा चाँद सफर का (उपन्यास) उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ हैं। बड़े भाई संत राम भी शायर थे और शौक़ के उपनाम से लिखते थे। टी आर रैना की किताब पंडित मेला राम वफ़ा : हयात-व-ख़िदमात अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द) से 2011 में छप चुकी है। फ़िल्म पगली (1943) और रागनी (1945) के गाने उन्हीं के लिखे हुए हैं। बारह साल की उम्र में शादी हुई।17 साल की उम्र में शे'र कहना शुरू किया,पंडित राज नारायण अरमान देहलवी के शिष्य हुए। अरमान दाग़ देहलवी के शिष्य थे। उर्दू की मशहूर पत्रिका मख़ज़न के संपादक रहे और लाला लाजपत राय के उर्दू अख़बार वन्दे मातरम के संपादक भी हुए। मदन मोहन मालवी के अख़बारों में भी काम किया। वीर भारत में  जंग का रंग के शीर्षक से कॉलम लिखते थे । उनका निधन जालंधर पंजाब में 19 सितम्बर 1980 को हुआ। 

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