aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
बिस्मिल सईदी की गिनती बीसवीं सदी के विशुद्ध क्लासिकी ढंग के शायरों में होती है. उनकी ग़ज़लों में पारंपरिक विषय नये रँग और नई आब व ताब के साथ नज़र आते हैं. लेकिन उनकी नज़्में उनकी एक और ही रचनात्मक आयाम का पता देती हैं. यह नज़्में उन सारे मसाइल व विषयों पर आधारित हैं जो उनके दौर के पैदा किये हुए थे.
बिस्मिल सईदी का नाम ईसा मियां था. 06 जनवरी 1901 को टोंक में पैदा हुए. मदरसा आलिया से अरबी और फ़ारसी में शिक्षा प्राप्त करने के बाद रियासत टोंक में मुलाज़िम हो गये. 1940 में जयपुर चले गये और मुमताज़उद्दौला नवाब मुकर्रम अली खां के मुसाहिबों में शामिल हो गये. यहाँ सात साल तक रहे उसकेबाद स्थाई रूप से दिल्ली आगये. 26 अगस्त 1976 को दिल्ली में ही देहांत हुआ. बिस्मिल सईदी सीमाब अकबराबादी के प्रिय शागिर्दों में थे.
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