aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मुहम्मद मज़ाहरुल हक़ उर्दू भाषा और साहित्य के एक प्रतिष्ठित आलोचक, शोधकर्ता और शिक्षक रहे हैं। आपने एक लंबे समय तक शिक्षण के क्षेत्र में सेवा दी और उर्दू साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर शोध और आलोचना का कार्य किया। साहित्य की समझ और विश्लेषण में आपकी गहराई और शैली को विद्वानों द्वारा सराहा गया है।
आप प्रोफेसर के पद से सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनका बौद्धिक और साहित्यिक योगदान आज भी जारी है। आपकी रचनाएँ, शोधपत्र और आलोचनात्मक लेख उर्दू साहित्य के छात्रों, शोधार्थियों और पाठकों के लिए एक अनमोल धरोहर हैं।