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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : आग़ा शाएर क़ज़लबाश

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : हिन्दुस्तानी पब्लिशंग हाउस, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1964

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : इतिहास

पृष्ठ : 241

सहयोगी : दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरीम, देहली

pahle zamane ki dilli
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लेखक: परिचय

आग़ा शाइ’र, मुज़फ़्फ़र बेग क़ज़लबाश (1871-1940) देहली के अलबेले शख़्स थे जो रस्मी शिक्षा न होने के बावजूद अपनी फ़ितरी रचनाशीलता के बल पर ज़िंदा रहे। बारह साल की उ’म्र में घर छोड़ दिया और इधर उधर होते हुए हैदराबाद जा पहुँचे और ‘दाग़’ देहलवी की शागिर्दी मे आगए। वहाँ पाँव जम गए थे मगर फिर चल पड़े और वापस देहली आगए। यहाँ से कलकत्ता गए और किसी ड्रामा कम्पनी के लिए ड्रामे लिखे। आख़िर में मौत उन्हें उनके वतन खींच लाई।

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