aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
پیش نظر شاعر پرویز شاہدی کی حیات و خدمات اور انتخاب کلام پر مبنی عالم خورشید کی تصنیف ہے۔ جس میں پرویز شاہدی کے شاعرانہ خصوصیات اور حالات زندگی کا جائزہ کے علاوہ ان کا منتخب کلام بھی پیش کیا ہے۔ پرویز شاہدی کا تعلق دبستان عظیم آباد سے ہے انہوں نے غزل گوئی اور نظم گوئی دونوں میں کامیاب طبع آزمائی کی ہے۔انھوں نے اپنی غزلوں میں فکر و احساس کے ساتھ انفرادیت کو قائم رکھا ہے، تونظموں میں احساسات وجذبات کو بڑی کامیابی اور فن کارانہ چابکدستی کے ساتھ نظموں کے پیرائیہ میں ڈھالا ہے۔اس کتاب میں مرتب نے پرویز شاہدی کی حیات و کارناموں پر ایک طویل مضمون پیش کرتے ہوئے ان کے کلام کا انتخاب کیا ہے۔
परवेज़ शाहीदी प्रगतिशील शाइर और आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे. 30 सितम्बर 1910 को अज़ीमाबाद में पैदा हुए. सय्यद इकराम हुसैन नाम था. कलकत्ते से 1925 में मैट्रिक किया. 1930 में पटना यूनिवर्सिटी से फ़ारसी साहित्य में बी.ए. किया और 1934 में एम.ए. 1935 में नौकरी के लिए कलकत्ते चले गये. कलकत्ते में नौकरी के दौरान ही कम्युनिस्ट आंदोलन से सम्बद्ध होगये और सक्रिय रूप से पार्टी के कामों में लग गये. 1949 में जेल भी गये. परवेज़ आजीविका के लिए बहुत परेशान रहे. कई स्कूलों में शिक्षक के रूप में भी काम किया. उम्र के आख़िरी दिनों में 1958 से 1968 तक कलकत्ता यूनिवर्सिटी में उर्दू के लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुए.
परवेज़ शाहीदी के दो काव्य संग्रह ‘रक्स-ए-हयात’ और ‘तस्लीस-ए-हयात’ के नाम से प्रकाशित हुए. उन्होंने नज़्म और ग़ज़ल दोनों विधाओं में शाइरी की. 05 मई 1968 को देहांत हुआ.
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