Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : पतरस बुख़ारी

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : अदबी दुनिया उर्दू बाज़ार, दिल्ली

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1984

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 106

सहयोगी : रेख़्ता

patras ke mazameen
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक: परिचय

पतरस बुख़ारी का पूरा नाम पीर सैयद अहमद शाह बुख़ारी है । उनके पूर्वज कश्मीर के  प्रवासी थे जो पेशावर आकर बस गए थे। उनके पिता सैयद असद-उल्लाह पेशावर मे एक वकील के मुंशी थे।1923 मे उनका विवाह ज़ुबैदा वांचू से हुआ जो कश्मीरी मूल की थीं और पंजाबी बोलती थीं।

पतरस की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। एम ए करने के बाद इंग्लिस्तान जा कर उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य मे डिग्री हासिल की। उनके शिक्षकों मे आई ए रिचर्ड्स और एफ़ आर लेविस साहित्य में अपनी लेखनी की वजह से विख्यात हैं। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद लाहौर मे ही उन्होंने एक शिक्षक के तौर पर अपनी सेवा दी । इसके अलावा ऑल इंडिया रेडियो मे अलग-अलग पदों पर सात वर्षों तक कार्यरत रहे । गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर मे उन्होंने प्रिन्सिपल की हैसियत से भी अपनी ख़िदमात अंजाम दीं । 1952 मे संयुक्त राष्ट्र मे प्रतिनिधि चुने गए जहाँ उन्होंने 1954 तक अपनी सेवाए प्रदान कीं । इनका शुमार अपने ज़माने के मंझे हुए नौकर शाहों मे होता है।

यूं तो एक नन्ही सी किताब मज़ामीन-ए-पतरस (पतरस के लेख) के लिए उर्दू साहित्य मे उन को असाधारण प्रसिद्धि मिली है। लेकिन उन्होंने अनुवाद और साहित्यिक लेखन के क्षेत्र मे भी कई यादगार काम किये हैं । अपने शिक्षक पीटर वट्किंस के सिविल एंड मिलिटरी गज़ट मे लेखनी के अलावा फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के सम्पादन मे निकलने वाली पत्रिका पाकिस्तान टाइम्स के चंद संपादकीय भी लिखे।

उनके मज़ामीन का एक ही संग्रह प्रकाशित हुआ जिस मे ग्यारह लेख शामिल हैं। इनमे हास्य व्यंग की मौलिकता और पराकाष्ठा को देखा जा सकता है। इतना कम लिखने के बावजूद उन की गद्य रचनाएं अपनी बेपनाह रचनात्मकता से ओत-प्रोत हो कर साहित्य के दामन को विस्तृत करती हैं। उन्होंने मनुष्य और उसके जीवन की अव्यवस्था को अपने विशिष्ट भाषाई पैटर्न में ढाल कर पाठकों को हंसने का अवसर प्रदान किया है । परंतु हास्य-व्यंग की तार्किकता मे जीवन के घाव को भी इस मे देखा जा सकता है।

पतरस की मृत्यु के अगले दिन न्यू यॉर्क टाइम्स ने (6 दिसम्बर 1958) अपने संपादकीय मे उन को याद करते हुए सिटिज़न ऑफ वर्ल्ड कहा। पाकिस्तानी सरकार द्वारा मृत्यु के पश्चात उनको (14 अगस्त 2003) दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार हिलाल-ए-इम्तियाज़ दिया गया। इस के अलावा पतरस अपने समय मे दूसरे सम्मान से भी सम्मानित किए गए । 


.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए