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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : अरशद मसऊद हाश्मी

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : अरशद मसऊद हाश्मी

प्रकाशन वर्ष : 2002

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : फ़िक्शन तन्क़ीद

पृष्ठ : 255

सहयोगी : शमीम हनफ़ी

prem chand aur loshun
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पुस्तक: परिचय

جس عہد نے پریم چند کی تشکیل کی اسی عہد نے لووشن کی تعمیر بھی کی۔ تاہم پیش نظر کتاب میں پریم چند کے حوالے سے لوشن کی فکری و عملی اور ادبی سرگرمیوں کا جائزہ پیش کیا گیا ہے۔ جس سے ایک معدوم جنت بھی روشنی میں آ سکے۔ گورکی سے متعلق اردو اور ہندی میں کئی عمدہ کتابیں منظر عام پر آچکی ہیں اور پریم چند سے بھی اردو اور ہندی داں طبقہ اچھی طرح واقف ہے ۔ جبکہ لووشن کے فن پر قدرے کم بات کی گئی ہے۔ جبکہ پریم چند اور لوشن معاصر دو عہد ساز شخصیتوں کا نام ہے ۔انہوں نے محض فن کی قدروں کا تعین ہی نہیں کیا بلکہ فرد معاشرہ فکر خیال حقوق و اختیارات ،انسان کی فکری عملی آزادی ادب کے دائرے کار سماجی ڈھانچے قوم و ادب کو مخلصانہ اور مثبت و مستحکم کرنے کے لیے گراں قدر خدمات انجام دیں۔ ہندوستان اور چین کے معاشرتی سیاسی اور سماجی بحران مماثل تو تھے ہی ان کے مسائل بھی ایک جیسے تھے۔ اس لئے بھی ان دونوں کے فکشن کو ایک ہی زمرے رکھ کر دیکھا جاسکتا ہے۔ اور یہ کام ارشد مسعود ہاشمی بخوبی انجام دیا ہے۔

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लेखक: परिचय

अरशद मसूद हाशमी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत एक अनुवादक और आधुनिक चीनी कविता और कथा साहित्य के आलोचक के रूप में की, और आरंभ में ही ‘शबखून’ जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगे थे। 'जदीद चीनी शायरी', 'लू सुन के शाहकार अफसाने', 'बेर बहुटियां' और 'नगमा-ए शामन' ऐसी किताबें हैं जिनमे चीनी क्लासिक्स के अनुवाद के साथ आलोचनात्मक परिचय शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने एक चीनी क्लासिक, ताओ ते चिंग का उर्दू में 'फ़ज़ाएल-ए-तर्क-ए अमल' के रूप में अनुवाद किया है। उन्होंने शब्दावली, साहित्यिक रचना के कार्य पर भी किताबें लिखी हैं। समय बीतने के साथ, इस झुकाव के परिणामस्वरूप तुलनात्मक साहित्य और आलोचना में उनकी रुचि हुई जिसके परिणामस्वरूप 'प्रेमचंद और लू सुन', और 'चीनी अदब पर हिंदुस्तानी अदब के असरात' का प्रकाशन हुआ। उनकी किताब 'शकीरूर रहमान की ग़ालिब-शनासी' प्रकृति में अलग है, क्योंकि इसमें ग़ालिब की कविता के सौंदर्य और मौलिक पहलुओं पर चर्चा की गई है। उन्होंने अपने पिता प्रो कमर आज़म हाशमी की रचनाओं का भी संपादन किया है। वह अभी जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा (बिहार) के उर्दू विभाग में  प्रोफेसर हैं और वह अंग्रेजी में भी लिखते हैं। अभी हाल ही में उन्होने 'उर्दू स्टडीस' का संपादन किया है।

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